Publish Date:10-Aug-2018 00:52:21
रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस एस मुंद्रा ने बैंकों द्वारा कॉरपोरेट ऋण के बजाय खुदरा ऋण कारोबार को बढ़ाने पर जोर दिए जाने को लेकर सवाल खड़ा किया और कहा कि कर्ज में फंसे बैंकों के लिए इस रास्ते से मोक्ष नहीं मिलने वाला है.
उन्होंने कहा कि ऋण का फंसना (एनपीए) कोई पाप नहीं है और इसकी सूचना देने में डर नहीं होना चाहिए. उन्होंने एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि अगर सारे बैंकर खुदरा ऋण में निर्वाण खोज रहे हैं तो मुझे लगता है कि ऐसे में सावधानी की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि पहले ऋण-खाते का दो-तिहाई कॉरपोरेट ऋण और एक-तिहाई खुदरा ऋण होता था पर अब यह चलन उलट रहा है. मुंद्रा ने कहा, 'आज यह उलट गया है और कॉरपोरेट ऋण एक तिहाई तथा खुदरा ऋण दो तिहाई हो गया है. हालांकि यह एक ऐसा बदलाव है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुआ है, लेकिन हमारे यहां अभी यात्रा बीच में है.'
उन्होंने कहा, 'यह सभी ऋणदाताओं के लिए जान लेना महत्वपूर्ण है कि एनपीए कारोबार की हकीकत हैं. किसी खाते का एनपीए हो जाना पाप नहीं है और किसी को भी किसी खाते के एनपीए हो जाने की खबर देने से डरना नहीं चाहिए.'
साभार- आज तक