किसान आत्महत्या कर रहे हैं और मुख्यमंत्री कृषि मंत्री जश्न मनाने में व्यस्त हैं- नेता प्रतिपक्ष
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में कर्ज और बिजली की समस्या से परेशान एक और किसान ने आत्महत्या कर ली। किसान का शव खेत में एक पेड़ से लटका हुआ मिला। सुबह जब लोग खेतों में काम करने गए तब उन्होंने शव को देखा और इसके बारे में पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलने पर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और इस संबंध में मामला दर्ज किया। किसान की पहचान 45 वर्षीय शांति लाल पिता बिसन लाल के रूप में हुई है।
किसान के परिचितों ने बताया कि उस पर सोसायटी और इलाहाबाद बैंक का कर्ज था। इसके साथ ही काफी समय से उसकी तबियत भी ठीक नहीं चल रही थी जिस कारण से वह कर्ज नहीं चुका पा रहा था। उसने इस बार चने की फसल लगाई लेकिन बिजली न मिलने के कारण फसल को सही वक्त पर पानी नहीं मिल सका जिससे वह खराब हो गई। ग्रामीणों में इस घटना के बाद आक्रोश है और वह किसान के शरीर को सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया। इधर, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि भाजपा सरकार असंवेदनशील हो गई है। बालाघाट के परसवाड़ा ब्लॉक के एक किसान ने कर्ज के कारण आत्महत्या कर ली, वहीं कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन की पुत्री और भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकारिणी सदस्य आज दिनभर से अपना भव्य जन्मदिन मना रहे थे, जिस पर हर हजारों रूपए भी खर्च किए जा रहे थे।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि प्रदेश में किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। कल खंडवा में और आज बालाघाट जिले में किसान ने मौत को गले लगाया लेकिन हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कृषि मंत्री मद-मस्त है। संवेदनहीनता की स्थिति यह हो गई कि सूखे और उपज की कीमत न मिलने से किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हैं, वहीं हमारे मुख्यमंत्री स्थापना दिवस और अपने 12 साल का जश्न मनाने में मशगूल हैं, यहीं काम उनके कृषि मंत्री कर रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष सिंह ने कहा कि किसान शान्तिलाल सोलखे ने 2 लाख रूपए के कर्ज से परेशान होकर 2 दिसंबर की रात फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है। मृतक किसान काफी समय से कर्ज माफी के लिए भाजपा सरकार एवं कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन से मदद की गुहार कर रहा था पर सरकार ने एक न सुनी और जले पर नमक यह कि अब कृषि मंत्री की बेटी, भाजपा युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य मौसम हरिनखेडे बालाघाट में अपना भव्य जन्मदिन मनाने में व्यस्त हैं। जितना पैसा जन्मदिन पर खर्च किया अगर उतना पैसा कर्ज से डूबे किसान को मिल जाता तो उसे मौत को गले न लगाना पड़ता।