Publish Date:04-Jun-2020 21:55:21
मुंबई, चार जून (भाषा) ‘‘छोटी-सी बात’’ और ‘‘रजनीगन्धा’’ जैसी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले अनुभवी फिल्म निर्माता बासु चटर्जी का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिनेमा जगत के तमाम दिग्गज फिल्ममेकरों और सेलेब्रिटीज ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके बासु के जाने का शोक व्यक्त किया है।
बासु ने सांताक्रूज स्थित अपने आवास में नींद में ही अंतिम सांस ली। इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन (आईएफडीटीए) के अध्यक्ष अशोक पंडित ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘उन्होंने सुबह के समय नींद में ही शांति से अंतिम सांस ली। वह उम्र संबंधी दिक्कतों के कारण पिछले कुछ समय से ठीक नहीं चल रहे थे और उनके आवास पर ही उनका निधन हुआ। यह फिल्म उद्योग के लिए भारी क्षति है।’’ पंडित ने बताया कि फिल्म निर्माता का अंतिम संस्कार सांता क्रूज श्मशान घाट पर किया जाएगा। बासु को ‘‘उस पार’’, ‘‘चितचोर’’, ‘‘पिया का घर’’, ‘‘खट्टा मीठा’’ और ‘‘बातों बातों में’ जैसी फिल्मों के लिए पहचाना जाता है।
10 जनवरी 1930 को राजस्थान के अजमेर में जन्मे बासु चटर्जी पचास के दशक में मुंबई आए और पत्रकारिता के पेशे से जुड़ गए। बाद में फिल्मकार बनने का विचार इसलिए आया कि उन्होंने मुंबई में फिल्म फोरम नाम से फिल्म सोसायटी की स्थापना की। सोसायटी आंदोलन के जरिये दुनिया भर के सिनेमा से उनका नजदीकी रिश्ता बना।
ब्रिटिश फिल्मकार अल्फ्रेड हिचकॉक और उनके सिनेमा से बासुदा काफी प्रभावित थे। दर्शकों को फिल्म देखते समय हास्य-व्यंग्य का एक जोरदार झटका देना उनकी अपनी स्टाइल रही है। इसके साथ ही अपनी फिल्म में किसी ऐरे-गैरे किरदार की वेशभूषा में वे पल-दो पल के लिए परदे पर आते रहे। हिचकॉक भी ऐसा करते थे। आगे चलकर शोमैन सुभाष घई ने भी यह फॉर्मूला अपनाया था।