Publish Date:31-Aug-2019 20:59:13
यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आह्वान पर देशभर के 10 लाख बैंक कर्मचारी एवं अधिकारी ”बैंकों के विलय“ के विरोध में आज सड़कों पर उतर आये। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा बैंकों के विलय की घोषणा के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन किए। ज्ञात हो कि कल केन्द्र सरकार ने 6 राष्ट्रीयकृत बैंकों का 4 राष्ट्रीयकृत बैंकों में विलय करने की घोषणा की है। पंजाब नैशनल बैंक में ओरियेन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स एवं यूनाईटेड बैंक आॅफ इंडिया, कैनरा बैंक में सिन्डीकेट बैंक, यूनियन बैंक आॅफ इंडिया में आन्ध्रा बैंक एवं कार्पोरेशन बैंक तथा इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का विलय किया जावेगा।
इसी तारतम्य में आज दिनांक 31.08.2019 को फोरम की स्थानीय इकाई के तत्वावधान में राजधानी की विभिन्न बैंकों के सैकड़ों बैंक कर्मचारी एवं अधिकारी शाम 5ः45 बजे ओरियेन्टल बैंक आॅफ कामर्स रीजनल आॅफिस, प्रेस काम्पलेक्स, भोपाल के सामने एकत्रित हुए, उन्होंने बैंकों के विलय के विरोध में जोरदार नारेबाजी कर प्रभावी प्रदर्शन किया। तत्पश्चात एक सभा हुई, जिसे फोरम एवं बैंक कर्मचारी अधिकारी संगठनों के पदाधिकारियों साथी वी.के. शर्मा, संजीव सबलोक, मो. नज़ीर कुरैशी, मदन जैन, अरूण भगोलीवाल, डी.के. पोददार, दीपक रत्न शर्मा, संजय कुदेशिया, सुनील सिंह, संतोष जैन, विजय सिंह नेगी,राकेश जैन, आशीष तिवारी, एम.जी. शिन्दे, रजत मोहन वर्मा, जे.पी. झवर, गुणशेखरन, एम.एस. जयशंकर, प्रदीप बिलाला आदि ने सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने बताया कि बैंकों का विलय जन एवं श्रम विरोधी है। इससे न तो आम जनता को एवं न ही बैंक कर्मियों को लाभ होगा। बैंकों के विलय से औद्योगिक एवं व्यापारिक घरानों को लाभ मिलेगा। भारत में जहाँ 6 लाख गाॅंवों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एक भी शाखा नहीं है, उस स्थिति में बैकों के विलय की नहीं बल्कि विस्तार की आवश्यकता है। बैंकों के आपसी विलय से उनके आस-पास की शाखाओं का भी विलय होगा। इस कारण इन बैंकों की हजारों शाखायें बंद होंगी, जिससे एक ओर आम जनता को जो बैंकिंग सेवायें मिल रही थीं, उससे वह वंचित हो जावेंगे, वहीं दूसरी ओर शाखा बंदी से उन शाखाओं में कार्य कर रहे कर्मचारी सरप्लस हो जावेंगे। इनको दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया जावेगा, इस कारण ये नौकरी छोड़ने पर मजबूर हो जावेंगे। साथ ही साथ बैंकिंग उद्योग के माध्यम से युवाओं को रोजगार एवं नौकरी मिलती थी, उसके ऊपर विराम लगा जावेगा। विलय सीधा-सीधा नौकरियों एवं रोजगार के ऊपर हमला है। वक्ताओं ने सरकार से माॅंग की कि जन एवं श्रम विरोधी विलय के ऊपर पुनः विचार कर इसे वापिस लिया जाये।
माँग न माने जाने की स्थिति में आन्दोलन को और तेज किया जावेगा, जिसमें राष्ट्रव्यापी बैंक हड़तालें भी की जावेगी।