बच्चों को न दें प्लास्टिक की बोतल-टिफिन, ये हो सकता है बीमारियों का कारण
Publish Date:20-Aug-2017 00:01:44
प्लास्टिक की बोतल, गिलास, कटोरी सहित अन्य बर्तनों में खाने - पीने से भी डायबिटीज रोगी बढ़ रहे हैं। स्कूली बच्चों को प्लास्टिक की बोतल के बजाय स्टील या किसी अन्य धातु की बोतल या कांच लगी बोतल में पानी देना चाहिए। यह बात कानपुर डायबिटीज एसोसिएशन की तरफ से मर्चेंट चैंबर में आयोजित केडीएकॉन-2017 में डॉ. एनके सिंह ने कही। धनबाद डायबिटीज सेंटर के निदेशक डॉ. सिंह ने ‘क्या भारतीय खाने से डायबिटीज बढ रही है?’ विषय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। बताया कि प्लास्टिक, भोज्य पदार्थों में कीटनाशकों, फर्टिलाइजर के इस्तेमाल से भी डायबिटीज बहुत तेजी से बढ़ रही है। इसी वजह से शहर के साथ अब देहात में भी डायबिटीज रोगियों का प्रतिशत बढ़ रहा है।
इंसुलिन न बनने से होती है डायबिटीज
ग्रामीण क्षेत्रों में दुबले-पतले और शारीरिक व्यायाम करने वाले युवाओं को भी डायबिटीज हो रही है। ऐसे रोगी बढ़ने की एक वजह प्लास्टिक के बर्तनों में खाना-पीना भी है। डॉ. सिंह ने बताया कि प्लास्टिक में बिसफेनॉल-ए रसायन होता है। प्लास्टिक के बर्तनों में खाद्य पदार्थ रखने या खाने-पीने से यह रसायन निकलता रहता है। प्रभावित खाद्य पदार्थों, पानी के माध्यम से यह शरीर में पहुंचने लगता है। यह इंसुलिन की क्रियाशीलता को प्रभावित करता है। धीरे-धीरे इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। इंसुलिन न बनने से डायबिटीज होती है। इसलिए प्लास्टिक की बोतल, गिलास सहित अन्य बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए। फाइबर रहित रिफाइंड (वसा), जंक फूड, पेस्टीसाइड्स से उगाई जा रहीं सब्जियों, फल, शुगरयुक्त डिशेज, चावल आदि से शरीर में धीरे-धीरे इंसुलिन बनना बंद हो जाता है और व्यक्ति डायबिटीज की चपेट में आ जाता है। इससे पहले दीप जलाकर द्वितीय वार्षिक कांफ्रेंस केडीएकॉन-2017 का शुभारंभ किया गया। कानपुर डायबिटीज एसोसिएशन (केडीए) की अध्यक्ष डॉ. नंदनी रस्तोगी ने बताया कि इस दो दिवसीय कांफ्रेंस में 22 वरिष्ठ चिकित्सक 441 डॉक्टरों को जानकारी देंगे। अपडेट होकर वे मरीजों का और बेहतर तरीके से इलाज कर सकेंगे। कार्यक्रम में केडीए सचिव डॉ. भास्कर गांगुली, डॉ. बृजमोहन, डॉ. आरती लाल चंदानी, डॉ. रितेश चौधरी आदि शामिल रहे।
सुपर स्पेशलिस्ट की तरफ भागने के बजाय लें फिजीशियन से सलाह
जमशेदपुर (झारखंड) से आए डॉ. अनिल कुमार विरमानी ने ‘डायबिटीज में ब्लड प्रेशर प्रबंधन’ विषय पर व्याख्यान दिया। बताया कि बीपी के मरीजों में डायबिटीज होने की आशंका अन्य की तुलना में ढाई गुना ज्यादा होती है। इसी तरह डायबिटीज से शुगर का खतरा ढाई गुना बढ़ जाता है। इसलिए इन दोनों बीमारियों को नियंत्रित रखना जरूरी है। बीमार पड़ने पर सीधे सुपर स्पेशलिस्ट के पास नहीं जाना चाहिए, बल्कि फिजीशियन को दिखाना चाहिए। फिजीशियन की सलाह पर ही सुपर स्पेशलिस्ट के पास जाना चाहिए।
डायबिटीज से महिलाओं को सेक्सुअल प्रॉब्लम
मुंबई से आए डॉ. दीपक जुमानी ने बताया कि डायबिटीज से पुरुषों के साथ ही महिलाओं में भी सैक्सुअल प्राब्लम होने लगती है। विभिन्न सर्वे में 9 से 59 प्रतिशत महिलाओं में इस तरह की समस्याओं का पता चला। आमतौर पर महिलाओं की ऐसी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता। इससे बचाव के लिए उन्होंने किशोरावस्था से ही काउंसलिंग पर जोर दिया।
ये भी हैं डायबिटीज से बचाव के उपाय
- प्लास्टिक के बर्तनों (बोतल, गिलास, कटोरी आदि), पॉलीथिन का उपयोग तत्काल पूरी तरह बंद करें।
- बच्चों को स्टील की बोतल या उसमें अंदर से कांच लगी बोतल दें।
- स्टील, तांबा आदि धातुओं के बर्तनों का उपयोग करें।
- मैदा, चावल, आलू, अरबा चावल (छिलका रहित सफेद चावल) कम खाएं।
- सरसों का तेल, सोयाबीन का तेल, चावल के छिलकों का तेल ही खाएं, रिफाइंड से परहेज करें।
- रोज 10 बादाम खाएं।
- सब्जियों को नल की टोंटी खोलकर दो मिनट तक बहते पानी में धोएं।
साभार- अमर उजाला