Publish Date:21-Apr-2017 14:46:38
3 साल में हर आइडिया पर मिला आउटकम, नहीं चाहिए वाहवाही कि मेरे हस्तक्षेप से मिला रिजल्टः PM
राजधानी दिल्ली में सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफसरों को सम्मानित किया। सबसे पहले अफसरों की तारीफ में बोलते हुए पीएम ने कहा कि आज लोगों को पता चल गया है कि सरकारी और प्राइवेट सेवाओं में अंतर क्या है? अफसरों से पीएम मोदी ने चुनौतियों पर कहा कि अगर आप काम करने का तरीका बदलेंगे तो चुनौतियां अवसरों में बदल जाएंगी।
इस बीच उन्होंने गंगा सफाई का जिक्र किया। पीएम ने कहा कि अगर सिविल सर्विस चाहे तो गंगा की सफाई संभव है। इस समय घाटी में बिगड़े हालात भी पीएम के भाषण का हिस्सा रहा। पीएम ने कहा कि घाटी में बाढ़ के वक्त जान बचाने वाले जवानों पर ताली बजाई जाती है तो उन पर पत्थर भी फेंके जाते हैं।
पीएम ने अफसरों को राष्ट्रहित के प्रति प्राथमिकता दिखाने को कहा। अफसर किसी भी लेवल पर बैठा हो, हर निर्णय को राष्ट्रहित से जोड़कर ही लें। सिविल सर्विस में ऐसे तराजू पर ध्यान देना चाहिए, जो राष्ट्र हित से जुड़ा हो।काम के भार पर पीएम ने कहा कि आज काम का भार नहीं बढ़ा है, बल्कि चुनौतियां बढ़ गई हैं। सरकारी सेवाओं को लेकर पीएम ने कहा कि पिछले 20 सालों में बड़े बदलाव आए हैं। उसका परिणाम ये है कि आज लोग सरकारी अस्पतालों की तुलना प्राइवेट अस्पतालों से करते हैं।
इसके बाद पीएम ने कहा कि मैं सोशल मीडिया की ताकत को पहचनाने वाला इंसान हूं। देश में ई-गवर्नेंस का भविष्य है और लोगों को मेरी तरह सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना चाहिए। दो विभागों के बीच में लटके मामलों का जिक्र भी पीएम मोदी ने किया। उन्होंने कहा कि क्या कारण है जो मामला 15 साल से लटका है, लेकिन प्रधानमंत्री बीच में आए तो वो मामला पल भर में हल हो गया।
पीएम ने कहा कि मुझे ये वाहवाई नहीं चाहिए कि मेरे बीच में आने से मामला हल हो गया है। मुझे चाहिए कि अफसर अपने लेवल पर मामलों को हल करें। निर्णय लेने पर पीएम ने कहा कि सत्य निष्ठा से काम करें अगर कुछ गलत होता है तो पीएम मोदी आपके साथ है।
आउटकम पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने गड्डा खोदने और भरने की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि हमे पता होने चाहिए कि जो हम कर रहे हैं उसका निष्कर्ष कुछ निकल भी रहा है या नहीं। पीएम ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकार बजट में आउटकम का डॉक्यूमेंट लेकर आई है।
पिछले तीन साल में अनुभव किया है एक विचार रखा हो उसका कोई परिणाम न आया हो ऐसी कोई घटना उनके सामने नहीं आई है। ऐसा गुजरात में हमेशा महसूस किया था, लेकिन राष्ट्रीय लेवल पर भी ऐसा होने लगा है। साभार- अमर उजाला