Publish Date:11-Jun-2019 18:13:15
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोपी पत्रकार प्रशांत कनौजिया को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगाई और पूछा कि ट्वीट के लिए गिरफ्तारी की क्या ज़रूरत थी. कार्रवाई अपनी जगह है, लेकिन गिरफ्तारी क्यों की गई? जानकारी के मुताबिक पत्रकार को शाम को रिहा कर दिया गया।
जब मौलिक अधिकार का हनन हो तो हम आंख बंद नहीं रख सकते- SC
इतना ही नहीं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम पत्रकार की तत्काल ज़मानत पर रिहाई का आदेश देते हैं. मजिस्ट्रेट अपने हिसाब से ज़मानत की शर्तें तय कर सकते हैं. हालांकि, इस आदेश को किसी ट्वीट को हमारी स्वीकृति के तौर पर न देखा जाए.'' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब मौलिक अधिकार का हनन हो तो हम आंख बंद नहीं रख सकते. हम ये नहीं कह सकते कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जाए. इससे पहले यूपी सरकार ने कहा था कि पत्रकार को गिरफ्तारी के बाद मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया है. अगर याचिकाकर्ता को इसके बाद कुछ कहना है तो उसे हाईकोर्ट जाना चाहिए.
याचिका में गिरफ्तारी को अवैध और असंवैधानिक बताया गया था
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पत्रकार कनौजिया की पत्नी जिगीशा अरोड़ा की तरफ से दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि ये गिरफ्तारी अवैध और असंवैधानिक है.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि कनौजिया ने ट्विटर और फेसबुक पर वीडियो साझा किया था जिसमें एक महिला मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर विभिन्न मीडिया संगठनों के संवाददाताओं के समक्ष यह दावा करती दिख रही है कि उसने आदित्यनाथ को शादी का प्रस्ताव भेजा है.
यूपी के हजरतगंज पुलिस थाने में शुक्रवार रात को एक उपनिरीक्षक ने कनौजिया के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया है कि आरोपी ने सीएम योगी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और उनकी छवि खराब करने की कोशिश की.
साभार- एबीपी न्यूज