Publish Date:12-Jun-2019 16:49:54
भारत ने अपने महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 लूनरक्राफ्ट की लॉन्चिंग डेट से जुड़ी जानकारी साझा की है. इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 15 जुलाई को दोपहर 2.51 बजे चांद के लिए टेक ऑफ करेगा. इसके साथ ही चंद्रयान-2 की पहली तस्वीर भी शेयर की गई है. बता दें कि इसरो चंद्रयान-1 की सफल लॉन्चिंग कर चुका है. इसे 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था.
इसरो के चेयरमैन के. सिवान ने बताया कि चंद्रयान-2 लूनरक्राफ्ट नासा के एक पैसिव एक्सपेरिमेंटल इंस्ट्रूमेंट को चांद पर ले जाएगा. पहली बार ये साउथ पोल से चांद की तस्वीर लेगा. अमेरिकी एजेंसी इस मॉड्यूल के जरिए धरती और चांद की दूरी को नापने का काम करेगी.
इसरो चेयरमैन सिवान ने ये भी कहा कि नासा का लेजर रिफ्लेक्टर अरेज एक प्रायोगिक माड्यूल चंद्रयान-2 के साथ जाएगा. अमेरिकी वैज्ञानिक धरती और चांद के बीच की दूरी को मापने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे. इस डिवाइस को लैंडर से अटैच किया जाएगा. ये चंद्रमा की सतह पर लैंडर की लोकेशन का सटीक अनुमान लगाने में सक्षम होगा.
भारत में बना है लॉन्च व्हीकल
चंद्रयान-2 मिशन के तीन मॉड्यूल्स में से एक ऑर्बिटर, लैंडर और एक रोवर है, जिन्हें लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी एमके lll स्पेस में लेकर जाएगा. खास बात ये है कि इस लॉन्च व्हीकल को भारत में ही बनाया गया है। चंद्रयान-2 के लैंडर को विक्रम और रोवर को प्रज्ञान नाम दिया गया है. रोवर प्रज्ञान को लैंडर विक्रम के अंगर रखा जाएगा और चांद की सतह पर विक्रम के लैंड होने पर इसे डिप्लॉय किया जाएगा.
चंद्रयान-2 की खासियतें
>>चंद्रयान-2 का वज़न 3.8 टन है, जो आठ वयस्क हाथियों के वज़न के लगभग बराबर है.
>>इसमें 13 भारतीय पेलोड में 8 ऑर्बिटर, 3 लैंडर और 2 रोवर होंगे. इसके अलावा NASA का एक पैसिव एक्सपेरिमेंट होगा.
>>चंद्रयान 2 चंद्रमा के ऐसे हिस्से पर पहुंचेगा, जहां आज तक किसी अभियान में नहीं जाया गया.
>>यह भविष्य के मिशनों के लिए सॉफ्ट लैंडिंग का उदाहरण बनेगा.
>>भारत चंद्रमा के धुर दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने जा रहा है, जहां पहुंचने की कोशिश आज तक कभी किसी देश ने नहीं की.
>>चंद्रयान 2 कुल 13 भारतीय वैज्ञानिक उपकरणों को ले जा रहा है.
अंतरिक्ष में ताकत बढ़ा रहा भारत
हाल के साल में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में लंबी उड़ान भरी है और दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराया है. बीते मार्च में भारत ने अंतरिक्ष में लाइव सैटेलाइट को मार गिराया. अपने 'मिशन शक्ति' की इस कामयाबी के बाद भारत उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया, जिनके पास मिसाइल को अंतरिक्ष में मार गिराने की तकनीक है. अब तक यह क्षमता अमेरिका, रूस और चीन के पास थी. अंतरिक्ष में भारत की इस सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और अधिकारियों को बधाई दी. साथ ही उन्होंने 'मिशन शक्ति' को लेकर देश के नाम संदेश भी दिया था.
2022 में अंतरिक्ष में मानवयुक्त मिशन भेजेगा भारत
अंतरिक्ष क्षेत्र में मिल रही कामयाबी से उत्साहित भारत ने 2022 में स्पेस में मानवयुक्त मिशन 'गगनयान' भेजने का ऐलान किया है. बीते साल 15 अगस्त को लाल किले से दिए गए भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी घोषणा की थी. इसरो इस मिशन की तैयारी में जुटा है.
सरकार ने रखा 1.43 अरब डॉलर का बजट
यह भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है. भारत सरकार ने इसके लिए अलग से 1.43 अरब डॉलर का बजट रखा है. इस मिशन के तीन अंतरिक्ष यात्रियों को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. समझा जाता है कि इस मिशन की लॉन्चिंग दिसंबर 2020 से शुरू हो जाएगी. अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले क्रू मेंबर्स का फाइनल सिलेक्शन इसरो करेगा और फिर वायु सेना इन्हें प्रशिक्षित करेगी.
साभार- न्यूज 18