Publish Date:16-Nov-2018 15:41:39
आंध्र प्रदेश में सीबीआई टीम को किसी भी मामले की जांच के लिए वहां जाने से पहले राज्य सरकार की इजाजत लेनी होगी. राज्य की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी. सरकार की तरफ से कहा गया कि अब से केंद्रीय जांच एजेंसी के किसी भी अधिकारी को आंध्र में एंट्री करने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी. चंद्रबाबू नायडू सरकार के इस बयान के बाद आंध्र और केंद्र के बीच टकराव का एक नया मुद्दा खड़ा हो गया है.
राज्य सरकार ने इस संबंध में एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है. जिसमें साफ कहा गया है कि अब से सीबीआई किसी भी केस में अगर कोई जांच-पड़ताल करना चाहती है या फिर सर्च ऑपरेशन चलाना चाहती है; तो इन सबके लिए सीबीआई को पहले सरकार को बताना होगा, फिर लिखित परमिशन लेनी होगी. बिना इसके किसी भी अधिकारी को राज्य में एंट्री नहीं करने दिया जाएगा.
इस हफ्ते जारी नॉटिफिकेशन में राज्य सरकार ने कहा कि दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिश्मेंट एक्ट 1946 को वापस ले लिया गया है. बता दें कि सीबीआई का गठन दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिश्मेंट 1946 के तहत किया गया था.
राज्य सरकार का ये फैसला सीबीआई में मचे उथल-पुथल के बाद आया है. हाल ही में सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और जांच एजेंसी में नंबर 2 राकेश अस्थाना पर रिश्वतखोरी के आरोप लगे हैं. जिसके बाद दोनों अधिकारियों को अघोषित छुट्टी पर भेज दिया गया और जांच पूरी होने तक नागेश्वर राव को डायरेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई.
आंध्र प्रदेश सरकार के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि सीबीआई बनाम सीबीआई मामले के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी पर राज्य सरकार का भरोसा कम हुआ है. इसलिए राज्य की नायडू सरकार ने ये फैसला लिया.
राज्य सरकार के इस फैसले के बाद से सीबीआई अब आंध्र में कोई किसी भी तरह का कोई छापा नहीं मार पाएगी. सीबीआई की जगह एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) आंध्र प्रदेश सरकार के तय किए गए दायरे में रहते हुए संबंधित मामलों की जांच-पड़ताल करेगी.
साभार- न्यूज 18