Publish Date:24-May-2019 20:28:17
नई दिल्ली, लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के दूसरे दिन शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट ने 16वीं लोकसभा भंग करने की सिफारिश की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार शाम हुई कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव पास किया गया। इस चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA)को जबर्दस्त जीत हासिल हुई है। सूत्रों ने बताया कि इस बारे में कैबिनेट की सिफारिश मिलने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वर्तमान लोकसभा भंग करने की कार्रवाई करेंगे।
3 जून को समाप्त हो रहा कार्यकाल
आपको बता दें कि 16वीं लोकसभा का कार्यकाल 3 जून को समाप्त हो रहा है। 17वीं लोकसभा का गठन 3 जून से पहले किया जाना है और नए सदन के गठन की प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में तब शुरू होगी जब तीनों चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेंगे और नवनिर्वाचित सदस्यों की सूची सौपेंगे।
कैबिनेट बैठक में भी नहीं आए जेटली
देश की जनता ने बीजेपी को ऐतिहासिक जनादेश दिया है और पार्टी ने 300 से ज्यादा सीटें जीती हैं। अब चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि 17वीं लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट किसे कौन सा पोर्टफोलियो मिलेगा? केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, मेनका गांधी, पीयूष गोयल, प्रकाश जावड़ेकर आदि शामिल हुए। तबीयत ठीक नहीं होने के कारण अरुण जेटली केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भी नहीं पहुंचे।
सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली दोबारा वित्त मंत्रालय का कार्यभार नहीं लेंगे। इसकी वजह उनकी सेहत ठीक न होने को बताया जा रहा है। अगर जेटली पद स्वीकार नहीं करते हैं तो केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय या दोनों मंत्रालयों का प्रभार दिया जा सकता है।
शाह को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी?
अटकलें हैं कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जा सकती है। दरअसल, रक्षा मंत्री का पद बीजेपी सरकार के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस चुनाव में भारतीय सेना और पाकिस्तान में घुसकर की गई सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक की काफी चर्चा हुई थी। ऐसे में सरकार एक मजबूत रक्षा मंत्री के तौर पर शाह को यह अहम पद दे सकती है।
आपको बता दें कि अर्बन अफेयर्स मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी अमृतसर से, पर्यटन मंत्री केजे अल्फोंस ऐरनाकुलम और टेलिकॉम मिनिस्टर मनोज सिन्हा गाजीपुर से चुनाव हार गए हैं। इससे पहले अरुण जेटली एक समय वित्त और कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्टर की जिम्मेदारी के साथ रक्षा मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इसके बाद उन्होंने वित्त मंत्रालय पर फोकस करने के लिए रक्षा मंत्रालय का कार्यभार निर्मला सीतारमण को दे दिया था।
वैसे किस सांसद को कौन सा मंत्रालय दिया जाए, इस पर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेना है। संभावना जताई जा रही है कि कैबिनेट में कई युवा चेहरों को जगह मिल सकती है। इस दौरान NDA के सहयोगी दलों को भी अहम पद दिए जा सकते हैं।
साभार- न भा टा