Publish Date:15-Nov-2018 20:17:55
लखनऊ: मोदी सरकार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर अपना क्या रुख रखेगी यह अभी स्पष्ट नहीं है किन्तु राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ और उसके अनुसांगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद लगातार राम मंदिर निर्माण को लेकर दबाव बढ़ा रहे हैं. विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित किए जानी वाली नवम्बर 25 की धर्म सभा के लिए सीधे तौर पर आरएसएस ने ज़िम्मेदारी ले ली है. धर्म सभा के आयोजन को सफल बनाने के लिए आरएसएस ने अपने सभी अनुसंगिक संगठनों को पूरी तरह से शामिल होने का फरमान सुनाया है.
25 नवम्बर से होने वाली धर्म सभा आरएसएस के लिए कितनी महातपूर्ण है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि सह कार्यवाहक भैयाजी जोशी का 4 दिवसीय प्रवास (जो कि 19 नवम्बर से 22 नवम्बर तक होना था) अब कम करके केवल दो ही दिन रहेगा.
चूंकि अयोध्या में होने वाली धर्म सभा में चार प्रान्तों से लगभग 2 लाख रामभक्तों का जामावाड़ा होना है, लिहाजा आरएसएस ने अपने सभी संगठनों से रामभक्तों को अयोध्या लाने की ज़िम्मेदारी सौंपी है. इस लिहाज से अयोध्या से सटे कई जिलों के भारतीय जनता पार्टी अध्यक्षों को भी रामभक्तों को अयोध्या लाने का टारगेट दिया गया है.
लखनऊ महानगर बीजेपी के अध्यक्ष मुकेश शर्मा हालांकि इंकार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि राम मंदिर तो आस्था से जुड़ा मामला है इसके लिए तो रामभक्त खुद ही इकट्ठा होंगे. बीजेपी फिलहाल खुलकर इस मुद्दे पर सामने नहीं आना चाह रही है क्योंकि ऐसा करने पर बीजेपी की केंद्र और प्रदेश सरकार पर नाहक ही दबाव पड़ेगा.
सूत्रों कि मानें तो लखनऊ में अभी चार दिन पहले आरएसएस के निराला नगर स्थित माधव सभागार में हुई समन्वय बैठक में सूत्रों के अनुसार बीजेपी के लखनऊ ज़िले की इकाई नें 5,000 रामभक्तों को अयोध्या भेजने की घोषणा माइक से की गई है. आरएसएस के सांगठनिक ढांचे में अब एक जिले में वार्डों की तरह नगर सह बनाए गए हैं. लखनऊ जिले में ऐसे 35 सह नगर हैं. आरएसएस सूत्रों की माने तो हर नगर इकाई को कम से कम एक हज़ार रामभक्त अयोध्या ले जाने का जिम्मा दिया गया है.
इसी प्रकार आरएसएस के और भी जो अनुसांगिक संगठन हैं उनसे भी अपेक्षा कि गई है कि वो भी रामभक्तों को अयोध्या ले जाने में लगेंगे. आरएसएस के पदाधिकारियों ने अपने अनुसांगिक संगठनों के लोगों से यह भी साफ कर दिया है कि जो रामभक्त जिस संगठन से जुड़ा है उस संगठन को ही उस रामभक्त के भोजन पानी की व्यवस्था देखनी होगी. अनुसांगिक संगठनों को ही अपने द्वारा एकत्रित किए गए रामभक्तों को अयोध्या ले जाने और वापस ले आने का भी जिम्मा दिया गया है.
आरएसएस का मानना है कि अगर रामभक्तों कि अच्छी तादात अयोध्या आ जाती है तो चुनाव के पहले सरकार पर एवं विपक्ष दोनो पर राम मंदिर निर्माण के लिए दबाव बनाना आसान होगा. पर क्या वीएचपी द्वारा आयोजित धर्म सभा ऐसा माहौल बनाने में सफल होगी यह देखना रोचक होगा.
साभार- जी न्यूज