Publish Date:21-Jul-2018 19:12:42
नई दिल्ली, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को बताया कि सेनेटरी नैपकिन को गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) मुक्त कर दिया गया है यानी अब इस कोई टैक्स नहीं लगेगा। अभी इस पर 12 फीसदी टैक्स वसूल किया जा रहा था। दिल्ली सरकार में वित्त मंत्रालय संभालने वाले सिसोदिया ने जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के इतर बताया कि 28 फीसदी स्लैब में मौजूद कई आइटम पर टैक्स घटाया गया है।मीटिंग में 35 से ज्यादा उत्पादों पर GST रेट घटाए गए। केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 28वीं मीटिंग में अहम फैसले लिए गए हैं।
उन्होंने कहा, 'मैं मानता हूं कि 28 फीसदी टैक्स स्लैंब को खत्म कर दिया जाए। इस मामले को बेवजह घसीटा जा रहा है।' टैक्स रिटर्न को लेकर उन्होंने कहा कि 5 करोड़ रुपये तक वाले ट्रेडर्स के लिए तिमाही रिटर्न को जीएसटी काउंसिल ने मंजूरी दे दी है। हालांकि, चीनी पर सेस को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।
जनवरी में इस साल ग्वालियर के स्टूडेंट्स के एक समूह ने एक कैंपेन चलाया था। ये स्टूडेंट्स सेनेटरी नैपकिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मेसेज लिखकर इसे जीएसटी से बाहर करने और निशुल्क बनाने की मांग करते थे।
35 से ज्यादा उत्पादों पर GST रेट घटे
इस बैठक के दौरान काउंसिल ने सैनेटरी नैपकिन को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के दायरे से बाहर कर दिया है। इसके अलावा 28 फीसदी वाले कई प्रोडक्ट्स पर जीएसटी को कम किया गया है। बैठक दौरान शुगर सेस पर सिर्फ रिपोर्ट सौंपी गई, शुगर सेस लगाने पर कोई फैसला नहीं लिया गया।
बांस 12 फीसदी के टैक्स स्लैब में
वहीं महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवा ने बताया कि बांस को 12 फीसदी के टैक्स स्लैब में रखा गया है। इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि चीनी पर सेस को लेकर अगली बैठक में फैसला लिया जा सकता है। बता दें कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक केरल में होने वाली है।
जीएसटी रेट में पहले भी हो चुके दो बड़े बदलाव
नवंबर 2017 की बैठक में 213 सामानों को अधिकतम 28% जीएसटी स्लैब से निकालकर 18% के स्लैब में शामिल किया। 5% जीएसटी के दायरे में शामिल 6 सामानों पर टैक्स खत्म कर दिया। फाइव स्टार होटल के रेस्त्रां को छोड़कर बाकी होटलों पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% किया गया। जनवरी 2018 में 54 सेवाओं और 29 वस्तुओं पर टैक्स कम किया।
बता दें कि 2017-18 में जीएसटी से 7.41 लाख करोड़ रुपए आए थे। औसत मासिक कलेक्शन 89,885 करोड़ था। इस साल अप्रैल में कलेक्शन रिकॉर्ड 1.03 लाख करोड़ पहुंच गया था लेकिन मई में घटकर 94,016 करोड़ और जून में 95,610 करोड़ रुपए पर आ गया।