Publish Date:19-Jul-2019 20:11:50
बैंक राष्ट्रीयकरण की स्वर्ण जयंती पर सेमीनार
मध्य प्रदेश बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन एवं मध्य प्रदेश बैंक आॅफिसर्स एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में बैंक राष्ट्रीयकरण की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर आज शाम 5ः45 बजे ओरियेन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स, रीजनल आॅफिस, प्रेस काम्पलेक्स, भोपाल के प्रांगण में ”बैंक राष्ट्रीयकरण के 50 वर्ष - आर्थिक एवं सामाजिक विकास“ विषय के ऊपर सेमीनार का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न बैंकों के सैकड़ों बैंक कर्मचारी एवं अधिकारियों ने भाग लिया। सेमीनार को ओरियेन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स के सहायक महाप्रबंधक श्री नवनीत शर्मा के अलावा विभिन्न बैंक कर्मचारी-अधिकारी संगठनों के नेताओं साथी डी.के. पोद्दार, वी.के. शर्मा, नज़ीर कुरैशी, दीपक रत्न शर्मा, जे.पी. झवर, एम.जी. शिन्दे, गुणशेखरन, बी.सी. पौणिकर, बी.एस. रावत, ए.एस. तोमर, जे.पी. दुबे, प्रभात खरे, बाबूलाल राठौर, ए.के. पंचैली, जे.डी. मलिक, किशन खैराजानी, देवेन्द्र खरे, अमिताभ चटर्जी, सौरभ पाराशर, मंगेश दवांदे, आर.के. निगम, विशाल धमेजा आदि ने सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने बताया आज से 50 वर्ष पूर्व 19 जुलाई 1969 को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गाँधी ने देश के बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों के 14 निजी क्षेत्र के बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। राष्ट्रीयकरण के समय बैंकिंग उद्योग की जमा राशियाँ 5000 करोड़ रूपये थी, जो बढ़कर आज 127 लाख करोड़ रूपये, उधारी (अग्रिम) 3500 करोड़ रूपये थी, जो बढ़कर आज 85 लाख करोड़ रूपये एवं बैंक शाखायें 8200 थी, जो बढ़कर आज 90765 हो गई है। राष्ट्रीयकरण के पश्चात बैंकिंग उद्योग ने चैतरफा वृद्धि की है। देश के विकास एवं रोजगार सृजन करने में राष्ट्रीयकृत बैंकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश में हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, औद्योगिक क्रांति एवं आई.टी. क्रांति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की देन है। राष्ट्रीयकरण के पश्चात बैंकिंग उद्योग एक नई दिशा में कदम बढ़ाते हुए देश के समग्र आर्थिक विकास का सहभागी बना हुआ है। अपनी उच्च वर्गीय बैंकिंग की छबि को तोड़ते हुए, बैंक जन-बैकिंग की ओर उन्मुख हुए तथा आर्थिक परिवर्तन के प्रभावी औजार के तौर पर कार्यशील हुए। बैंक आर्थिक उन्नति एवं विकास के वाहक बन गये हैं।
गत 50 वर्षों में राष्ट्रीयकृत बैंकों का योगदान अद्भुत, अप्रतिम व शानदार रहा है। बैंकों में आम जनता की बहुमूल्य बचत को संग्रहित व समृद्ध किया गया। इन स्त्रोतों को राष्ट्र के विकास के लिए उपलब्ध कराया गया। वर्तमान में राष्ट्रीयकृत बैंकों को सशक्त बनाने एवं विस्तार की आवश्यकता है, जिससे कि आम आदमी को इनसे ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।
सेमीनार के अन्त में बैंक यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि हमारे संगठन की माँग है कि बैकों के निजीकरण को विराम दिया जावे, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक सहित सभी निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जावे, राष्ट्रीयकृत बैंकों का सशक्तिकरण किया जावे, खराब ऋणों की वसूली के लिए कठोर एवं कारगर कदम उठाये जावें। सेमीनार में उपस्थित बैंक कर्मियों ने आम जनता सहित बैंकों के ग्राहकों को बेहतर, त्वरित एवं उत्तम ग्राहक सेवा प्रदान करने की शपथ ली।