Publish Date:11-Apr-2019 18:41:14
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इलेक्टोरल बांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान माना कि चुनावों में कालेधन का इस्तेमाल हो रहा है. केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने कहा, यह सच है कि चुनाव में कालेधन की अहम भूमिका रहती है. मतदाताओं को लुभाने के लिए हर गैरकानूनी हथकंडा अपनाया जाता है. यह नया चलन नहीं है. यह हमेशा से होता रहा है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के नेता हेलीकॉप्टर से दौरे कर रहे हैं, जिस पर भारी-भरकम रकम खर्च होती है. उन्होंने सवाल किया कि यह पैसा कहां से आता है? फिर खुद ही जवाब दिया कि यह कालाधन है.
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि केंद्र सरकार ने राजनीतिक चंदे में कालेधन को खत्म करने के लिए इलेक्टोरल बांड पेश किए थे. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ इलेक्टोरल बांड का परिचालन रोके जाने को लेकर दायर याचिका के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि यह कालेधन को खत्म करने के लिए किया गया प्रयोग है. कोर्ट इसमें दखल न दे और चुनाव खत्म होने तक इलेक्टोरल बांड पर रोक न लगाए.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और चुनाव आयोग एकदूसरे के खिलाफ थे. सरकार का कहना था कि इलेक्टोरल बांड के जरिये राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों की पहचान गोपनीय रखी जाए. वहीं, चुनाव आयोग का कहना था कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दानदाताओं के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए. इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि मतदाताओं का जानना जरूरी नहीं कि राजनीतिक दलों का पैसा कहां से आता है. इसके अलावा इससे उनके निजता के अधिकार का हनन भी होगा.
कालेधन के खिलाफ ऐसी लड़ाई बेमानी है : सीजेआई
अटॉर्नी जनरल की दलीलों पर पीठ ने दो बार आपस में लंबी चर्चा की, लेकिन वेणुगोपाल से सहमत नहीं हो पाई. चीफ जस्टिस ने वेणुगोपाल से पूछा कि जब एक बैंक 'एक्स' या 'वाई' को इलेक्टोरल बांड जारी करता है तो क्या खरीदे गए बांड का ब्योरा भी दिया जाता है. वेणुगोपाल ने इनकार में जवाब दिया. इस पर सीजेआई ने कहा कि अगर कालेधन के खिलाफ यही आपकी लड़ाई है तो यह बेमानी है.
केवाईसी रकम के काले या सफेद होने का प्रमाणपत्र नहीं
वेणुगोपाल ने कहा, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इसका हिसाब रखता है कि कौन सा पैसा किस बैंकिंग चैनल से आया है. इस पर पीठ के सदस्य जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि केवाईसी में सिर्फ खरीदार की जानकारी मांगी जाती है. यह निवेश की गई रकम के काले या सफेद होने का प्रमाणपत्र नहीं है. अटॉर्नी जनरल ने दलील दी कि इलेक्टोरल बांड पर रोक लगाने के बाद भी शेल कंपनियां रहेंगी. इसलिए प्रयोग के तौर पर इसका परिचालन चालू रहने दिया जाए.
220 करोड़ के बांड बिके, 210 करोड़ गए बीजेपी के पास
याचिकाकर्ता वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सियासी चंदे में कालेधन पर रोक लगाने से योजना का कोई लेनादेना नहीं है, क्योंकि इसमें भी दानदाता की पहचान गोपनीय रहती है. साथ ही दावा किया कि अब तक 220 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बांड खरीदे गए हैं. इनमें 210 करोड़ रुपये सत्ताधारी दल बीजेपी के पास ही गए हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इलेक्टोरल बांड के परिचालन को लेकर शुक्रवार को फैसला सुनाया जाएगा.
साभार- न्यूज 18