16-Apr-2024

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आर्मी को मिलेगी फ्यूज होते ग्रेनेड से आजादी, मिलेंगे नए 10 लाख हैंडग्रेनेड

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नई दिल्ली, भारतीय सेना को जल्द ही उन ग्रेनेड से आजादी मिल जाएगी जो सेना के लिए सरदर्द बने हुए हैं। अभी जो ग्रेनेड (हैंडग्रेनेड नंबर-36) फौज में इस्तेमाल हो रहे हैं उनमें फ्यूज होने की बहुत ज्यादा शिकायत है। अब सेना को 10 लाख नए हैंडग्रेनेड मिलेंगे। डिफेंस एक्युजिशन काउंसिल (डीएसी) ने इसकी खरीद को मंजूरी दे दी है। पहले ये नए हैंडग्रेनेड रक्षा मंत्रालय की ऑर्डिनंस फैक्ट्री को बनाने थे लेकिन उसके हैंडग्रेनेड टेस्ट में फेल हो गए। अब नए हैंडग्रेनेड नागपुर की एक प्राइवेट कंपनी बनाएगी। यह प्रॉजेक्ट करीब 530 करोड़ रुपये का है।

ऑर्डिनंस फैक्ट्री के ग्रेनेड टेस्ट में फेल
नए हैंडग्रेनेड की डिमांड 2010 से ही की जा रही है। तब ऑर्डिनंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) से भारतीय सेना के लिए हैंडग्रेनेड बनाने को कहा गया। डीआरडीओ ने इसका डिजाइन बनाया और ओएफबी को दिया। लेकिन 2011 से 2017 तक यानी सात सालों तक डीआरडीओ और ओएफबी के बीच कभी डिजाइन को लेकर, कभी मैन्युफैक्चरिंग को लेकर तो कभी ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलजी को लेकर मतभेद होते रहे। जिसकी वजह से हैंडग्रेनेड का काम अटका रहा।

जिसके बाद डीआरडीओ ने नागपुर की एक प्राइवेट कंपनी ‘इकनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड’ को हैंडग्रेनेड का डिजाइन दिया। फौज ने ओएफबी और नागपुर की कंपनी दोनों से कहा कि वे 1000-1000 हैंडग्रेनेड बनाकर दें, ताकि उनका टेस्ट किया जा सके। पिछले साल जब इन दोनों के बनाए हैंडग्रेनेड का टेस्ट हुआ तो ओएफबी के हैंडग्रेनेड टेस्ट में फेल हो गए और नागपुर की कंपनी के हैंडग्रेनेड टेस्ट में सफल रहे। अब डीएसी की मंजूरी के बाद नागपुर को कंपनी से 10 लाख हैंडग्रेनेड बनाने का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया जाएगा।

मारने और शॉक देने के लिए, दोनों तरह से इस्तेमाल हो सकेंगे ग्रेनेड
नए 10 लाख हैंडग्रेनेड मल्टीमोड हैंडग्रेनेड होंगे। इनका इस्तेमाल बस शॉक करने के लिए और घातक हथियार दोनों तरह से किया जा सकेगा। हैंडग्रेनेड में एक कवर होगा जिसके साथ हैंडग्रेनेड जानलेवा बनेगा। यानी इसका इस्तेमाल दुश्मन के खात्मे के लिए किया जा सकेगा।

बिना कवर के यह हैंडग्रेनेड नॉनलीथल होगा यानी घातक नहीं होगा। इसका इस्तेमाल उस परिस्थिति में किया जा सकता है जब सैनिकों को किसी संदिग्ध जगह पर घुसना है और वहां मौजूद लोगों को बस एक गैरघातक ब्लास्ट से चौंकाना है। फौज में हर राइफलमैन अपने साथ दो ग्रेनेड रखता है। अभी तक जो ग्रेनेड इस्तेमाल हो रहे हैं उनमें काफी शिकायतें आ रही हैं।

हालांकि मौजूदा ग्रेनेड को हैंडग्रेनेड और राइफल ग्रेनेड, दोनों तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन जो नए 10 लाख ग्रेनेड मिल रहे हैं वे मल्टी मोड तो हैं लेकिन वे हैंडग्रेनेड की तरह ही इस्तेमाल हो सकेंगे। भारतीय सेना को राइफल ग्रेनेड की भी जरूरत है और नए राइफल ग्रेनेड की खोज अभी जारी है।

साभार- नवभारत टाइम्‍स

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