Publish Date:07-Dec-2017 00:11:50
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सेना के राजनीतिकरण को लेकर आगाह किया है। जनरल रावत ने कहा है कि पिछले कुछ दिनों से सेना के राजनीतिकरण की कोशिश हो रही है। किसी खास घटना, व्यक्ति या सरकार का नाम लिए बिना सेना प्रमुख ने कहा कि जीवंत लोकतंत्र को बहाल रखने के लिए सेना को किसी भी हालत में राजनीति से दूर रखना होगा।
बुधवार को दिल्ली में यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट के कार्यक्रम में जनरल रावत ने कहा कि सेना धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के साथ काम करती है। एक वक्त था जब सेना के भीतर आम बातचीत में महिला और राजनीति की कोई जगह नहीं थी। पिछले कुछ दिनों से यह दोनों विषय धीरे-धीरे अपनी जगह अख्तियार कर रहे हैं। इससे बचना जरूरी है। उन्होंने कहा, सेना का राजनीतिकरण देश के लोकतांत्रिक ताने बाने के लिए किसी भी लिहाज से उचित नहीं है। सेना को राजनीति से लंबी दूरी बनाकर रखनी होगी।
जनरल ने की मांग, सेना को राजनीति से दूर रखा जाए
जनरल रावत ने कहा कि सेना तब अपना काम उत्तम तरीके से करती है, जब उसे राजनीति से पूरी तरह दूर रखा जाए। किसी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि जब भी किसी मुद्दे को सेना की किसी संस्था या अधिकारी से जोड़ने की कोशिश होती है तो सभी को सतर्क हो जाना चाहिए।
वन रैंक वन पेंशन, पदोन्नति में सैन्य अधिकारियों का अफसरशाही के साथ टकराव और इस संबंध में सरकार के रुख को लेकर राजनीतिक दलों और सेना में काफी गहमागहमी रही है। दो वरिष्ठ अधिकारियों पर वरीयता देकर जनरल रावत को सेना प्रमुख बनाए जाने के मोदी सरकार के फैसले पर भी राजनीतिक दलों की ओर से सवाल उठाए गए थे। वहीं रणनीतिकार सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सेना के पेशेवर काम के राजनीतिक महिमा मंडन से भी बचने की सलाह देते रहे हैं।
साभार- अमर उजाला