Publish Date:15-Nov-2016 21:16:01
भोपाल 15 नवम्बर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने प्रदेश सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि प्रदेश के खाली खजाने और अनावश्यक खर्च में कटौती नहीं करने से सरकार की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती ही जा रही है। हालात यह हो गई है कि बीते चार माह के दौरान राज्य सरकार को खर्च के लिए बाजार से 10,500 करोड़ रुपए का कर्ज लेना पड़ा है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कर्ज लेने का भी कीर्तिमान बन गया है। प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है जब सरकार की इस अवधि में इतनी राशि कर्ज के रुप में लेनी पड़ी है। राज्य सरकार को इस माह के पहले सप्ताह में ही 1500 करोड़ रुपए का कर्ज लेना पड़ा है जिससे कर्ज का आंकड़ा पांच अंकों में पहुंच गया है।
यादव ने कहा कि जिस तरह से माह के शुरुआती दिनों में कर्ज लिया गया है, उससे संभावना जताई जा रही है कि इस माह राज्य सरकार कर्ज की एक किश्त और ले सकती है। अक्टूबर तक राज्य सरकार के कर्ज का आंकड़ा मौजूदा वित्त वर्ष में 9000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। अकेले अक्टूबर माह में दो किश्तों में 4000 करोड़ का कर्ज लिया गया। इसी तरह सितंबर, और अगस्त में भी सरकार ने 2500-2500 करोड़ रुपए मिलाकर कुल 5000 करोड़ का कर्ज लिया था। अगस्त से कर्ज लेने का सिलसिला लगातार बना हुआ है, जिसके फिलहाल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए थमने के आसार नहीं दिख रहे हैं। यह कर्ज सरकार ने इस समय चल रहे विकास कार्यों के नाम पर लिया है। मिले संकेतों के मुताबिक इस समय राज्य सरकार नकदी के संकट से जूझ रही है, आमदनी के मुकाबले खर्च का ग्राफ बढ़ गया है।
यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने जब से जीएसडीपी के कुल 3.50 फीसदी की सीमा तक कर्ज लेने की अनुमति राज्य सरकार को दी है, तब से प्रदेश में कर्ज लेने का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। जिस तरह से राज्य सरकार तेजी से कर्ज लेती जा रही है, ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस बार एक वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार कम से कम 23 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले सकती है। उन्होंने कहा कि इससे पहले तक तो राज्य सरकार बमुश्किल 15 हजार करोड़ रुपए से भी कम राशि ही एक वर्ष में कर्ज के रूप में लेती रही है, लेकिन इस बार राशि में जमकर बढ़ोत्तरी हो रही है। वैसे भी प्रदेश पर 31 मार्च 2016 की अवधि में एक लाख 13 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। जिस तरह से कर्ज लेने की स्थिति बनी हुई है, उस हिसाब से अगले वित्तीय वर्ष में प्रदेश के कर्ज का आंकड़ा डेढ़ लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर सकता है।
सरकारी खर्च पर हुए जिस ‘‘लोकमंथन’’ में ‘लोक’ ही गायब रहे तो मंथन कैसा ?
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने 1.62 हजार करोड़ रूपये के कर्ज में डूबी राज्य सरकार के खर्च पर एक ही विचारधारा से जुड़े लोगों को आमंत्रित कर सोमवार को संपन्न तीन दिवसीय ‘‘लोकमंथन’’ कार्यक्रम पर तीखा प्रहार किया है। मिश्रा ने इस कार्यक्रम में अतिथि के बतौर शुभारंभ करने वाले आरएसएस के सह संघकार्यवाह व व्यापमं महाघोटाले में संदिग्ध सुरेश सोनी को राजकीय अतिथि का दर्ज देने को लेकर भी घोर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनके साथ मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा मंच भी साझा करना व्यापमं महाघोटाले की किस ईमानदार जांच का संदेश है? वैसे भी जिस ‘‘लोकमंथन’’ में ‘लोक’ ही गायब रहे हों और आम नागरिकों से परे सिर्फ एक ही विचारधारा से संबद्ध लोगों को प्रवेश दिया गया हो, वहां कैसा व क्या मंथन हुआ होगा?
मिश्रा ने इस आयोजन में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा उद्वृत उन विचारों पर भी व्यंग्य किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘मंच पर देवताओं के साथ असुर भी बैठेंगे तभी अमृत मंथन होगा।’’ आयोजक यह स्पष्ट करें कि आयोजन परिसर में देवता और असुर कौन-कौन थे? हकीकत यह है कि इस मंथन से एक ही विचारधारा ने जो विषवमन किया है, वह आने वाले दिनों के लिए एक खतरनाक संकेत है। यही नहीं इस मंथन का शुभारंभ व रूपरेखा बनाने के लिए जिस केंद्रीय मंत्री ने अपनी महती भूमिका निभाते हुए ‘‘चिन्ह’’ और वेबसाईट के स्वरूप का शुभारंभ किया, उन्हीं मंत्री ने इस तीन दिवसीय कार्यक्रम से अपनी दूरी क्यों बनाई?
श्री मिश्रा ने इस बाबत् मध्यप्रदेश विधानसभा परिसर के भी दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि इस पवित्र परिसर को भी राज्य सरकार संघ और भाजपा की जागीर समझ बैठी है, क्योंकि जिस विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजयसिंह को राजनैतिक आधार पर पत्रकार वार्ता की अनुमति नहीं दी गई हो, वहां इस आयोजन को लेकर मंत्री सुरेन्द्र पटवा, भाजपा के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे व चंद्रप्रकाश द्विवेदी की पत्रकार वार्ता कैसे हुई? यही नहीं कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक आरिफ अकील व तत्कालीन विधायक सुश्री कल्पना परूलेकर को भी पत्रकार वार्ता करने के मामले में आरोपों के घेरे में ले लिया गया था, यह दोहरा चरित्र क्यों? उन्होंने राज्य सरकार और आयोजकों से जानना चाहा है कि एक बड़े खर्च के साथ हुए इस आयोजन से प्रदेश की जनता को क्या हासिल हुआ?
सहकारी बैंकों में 500-1000 के नोट जमा ना करवाने का रिजर्व बैंक का तुगलकी आदेश किसानों के साथ धोखा: रवि सक्सेना
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना ने कहा है कि एक तरफ तो प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान किसानों से 500 एवं 1000 के पुराने नोटों को सहकारी बैंकों में जमा करवाने हेतु लगातार मीडिया के माध्यम से आव्हन कर रहे हैं, किन्तु दूसरी तरफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सहकारी बैंकों केा 500 एवं 1000 के नोट स्वीकार ना करने हेतु एक परिपत्र जारी कर प्रदेश के किसानों के साथ घोर अन्याय एवं धोखा किया है।
सक्सेना ने कहा है कि प्रदेश में 67 लाख किसानों के सहकारी बैंकों में खाते हैं, जिनके माध्यम से 52 लाख किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 38 जिला सहकारी बैंकों एवं उनकी 635 कृषि सहकारी समितियों की शाखाओं के माध्यम से कृषि उपज का पूरा लेनदेन करते हैं। यदि प्रदेश के किसानों से सहकारी बैंक 500 एवं 1000 के नोट नहीं लेंगे, तो उनकी पूरी अर्थव्यवस्था ठप्प हो जायेगी और जब आज रबी की फसल की बोबनी का समय है, ऐसी विषम स्थिति में वे खाद-बीज प्राप्त करने के लिए वह मोहताज हो जायेंगे।