Publish Date:28-Feb-2019 23:59:21
केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी संगठन पर बैन लगा दिया है. इस संगठन पर गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. पुलवामा में आंतकी हमले के बाद भारत सरकार ने कश्मीर में अलगाववादियों और जमात-ए-इस्लामी पर कड़ी कार्रवाई की है. पिछले कुछ दिनों से छापेमारी में इस संगठन के करीब 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जमात ने आतंक को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाई है. जम्मू और कश्मीर पुलिस के पूर्व डायरेक्टर जनरल के राजेंद्र मानते हैं, "उनके अंदर राष्ट्रविरोधी भावनाएं हैं और यही कश्मीर की समस्याओं की जड़ है."
कश्मीर पुलिस के अधिकारियों ने पिछले दिनों न्यूज18 को बताया था कि ज्यादातर लोगों का मनाना है कि आतंकी जमात की विचारधारा से ही प्रभावित होते हैं और कश्मीर में होने वाले गुस्साई भीड़ के प्रदर्शनों के लिए भी ज्यादातर ये नेता ही जिम्मेदार होते हैं.
जमात ए इस्लामी क्या है और कश्मीर में इसकी जड़ें कैसे जमीं?
जमात-ए-इस्लामी की स्थापना एक इस्लामिक-राजनीतिक संगठन और सामाजिक आंदोलन के तौर पर 1941 में की गई थी. इसकी स्थापना अबुल अला मौदूदी ने की थी जो कि एक इस्लामिक आलिम (धर्मशात्री) और सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक थे.
मुस्लिम ब्रदरहुड (इख्वान-अल-मुसलमीन, जिसकी स्थापना 1928 में मिस्त्र में हुई थी) के साथ जमात-ए-इस्लामी अपनी तरह का पहला संगठन था जिसने इस्लाम की आधुनिक संकल्पना के आधार पर एक विचारधारा को तैयार किया.
साभार- न्यूज 18