20-Apr-2024

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PM की घोषणा के बाद ISRO ने तेज की तैयारी, अंतरिक्ष यात्रियों की है तलाश

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। तकनीकी तैयारियों के साथ इसरो ने 'गगनयान' के अंतरिक्ष यात्रियों की तलाश शुरू कर दी है। इसरो वायुसेना के पायलटों को बतौर अंतरिक्ष यात्री भेजने पर विचार कर रहा है। इसरो ने कहा कि अगले कुछ दिनों में अंतरिक्ष यात्रियों का चयन कर लिया जाएगा।
 
इसरो प्रमुख डॉक्टर के शिवन ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि तीन सालों के अंदर अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजा जाना है। अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले यात्रियों को दो-तीन साल की ट्रेनिंग की जरूरत होती है। इसलिए हम पहला काम अंतरिक्ष यात्रियों के चयन का करेंगे। वैसे तो कोई भी अंतरिक्ष यात्री हो सकता है लेकिन वायुसेना के पायलट इसके लिए उपयुक्त होंगे। वायुसेना से बातचीत चल रही है और जल्द इसकी घोषणा की जाएगी।

संख्या पर फैसला जल्द
अंतरिक्ष यात्रियों की संख्या को लेकर अभी फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन इसरो ने जो केबिन क्रू सिस्टम तैयार किया है उसकी लंबाई चौड़ाई करीब चार-चार मीटर है और ऊंचाई सात मीटर है। इसमें तीन यात्रियों के बैठने की जगह बनाई है। यात्रियों में महिला भी हो सकती है।

विदेश में प्रशिक्षण
अंतरिक्ष यात्रियों को कुछ प्रशिक्षण इंस्टीट्यूट ऑफ वैदर स्पेस मेडिसिन में प्रशिक्षण दिया जाएगा। बाकी विदेश में होगा। अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण की पूरी सुविधाएं देश में नहीं हैं। इन्हें स्थापित करने में तीन साल लग सकते हैं।

11 किस्म के उपकरण
गगनयान के प्रक्षेपण के लिए कुल 11 किस्म के उपकरण और सुविधाएं चाहिए जिनमें से ज्यादातर इसरो तैयार कर चुका है। जैसे प्रक्षेपण वाहन, क्रू सेफ्टी पैड, क्रू इस्केप सिस्टम, आर्बिटल माड्यूल, इंटीग्रेशन एंड प्रीप्रेशन फेसिलिटी, क्रू माड्यूल सिमुलेटर, रिकवरी लॉजिस्टिक, रिकवर सिस्टम, आस्ट्रोनेट स्पेस स्यूट आदि।

दो मानव रहित यान जाएंगे
डॉक्टर शिवन ने कहा कि मानव मिशन को अंतरिक्ष में रवाना करने से पहले दो मानव रहित फ्लाइट भेजी जाएंगी। इनकी सफलता के बाद ही मानव मिशन को रवाना किया जाएगा।

16 मिनट में अंतरिक्ष में पहुंचेगा
धरती से उड़ान भरने के बाद गगनयान 16 मिनट में करीब 400 किलोमीटर ऊंचाई पर अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित हो जाएगा। जहां आर्बिटल मॉडयूल अलग होकर पांच से सात दिन अंतरिक्ष में सक्रिय रहेगा। इस दौरान उसमें मौजूद वैज्ञानिक कई प्रयोग करेंगे। आर्बिटल मॉड्यूल वापसी में जब धरती से 120 किलोमीटर ऊंचाई पर होगा तो अंतरिक्ष यात्री पैराशूट के जरिये गुजरात के निकट अरब सागर में उतरेंगे। जहां कुछ ही मिनटों में उन्हें तलाश कर लिया जाएगा।

दस हजार करोड़ खर्च आएगा
मिशन पर कुल दस हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसरो का दावा है कि इससे 15 हजार रोजगार सृजित होंगे। इसरो में 900 अन्य एजेंसियों में 1400 और बाकी उद्योग जगत में सृजित होंगे।

सौ फीसदी फुलप्रूफ होगा
इसरो ने कहा कि इस मिशन में कोई खतरा नहीं होगा।  इसलिए रोबोट की बजाय इंसान को भेजा जा रहा है। फिर जो अनुभव इंसान कर सकते हैं, वह रोबोट नहीं कर सकते।

राकेश शर्मा के अनुभवों का फायदा
इसरो ने कहा कि वे देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के अनुभवों का फायदा ले रहे हैं। वे बेंगलुरु में रहते हैं, जहां इसरो का मुख्यालय भी है। इसरो के वैज्ञानिक उनके संपर्क में हैं। एयरफोर्स के पायलट रहे राकेश शर्मा रूसी अंतरिक्ष यान सोयुज के जरिये 1984 में अंतरिक्ष में गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में ऐलान किया था कि 2022 से पहले एक भारतीय को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। मंत्री ने कहा, हमने इसकी योजना बनाई थी और प्रधानमंत्री की घोषणा का इंतजार कर रहे थे। यह बहुत अहम घोषणा थी।

साभार- लाइव हिन्‍दुस्‍तान

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