Publish Date:16-May-2018 23:16:04
कर्नाटक का सियासी नाटक जारी है. राज्य में नए चुनकर आए विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिशें होने के दावे किए जा रहे हैं. ये आरोप भी सामने आ रहे हैं कि दल-बदल के लिए विधायकों को 100-100 करोड़ रुपये तक की पेशकश की जा रही है. इस बीच‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (ADR) की ओर से जारी रिपोर्ट बताती है कि किस तरह कर्नाटक में हाल में संपन्न चुनाव के दौरान धनबल का बोलबाला रहा.
पार्टियों की हिस्सेदारी
कर्नाटक इलेक्शन वॉच और एडीआर ने 222 नवनिर्वाचित विधायकों में से 221 के हलफनामों का अध्ययन किया. जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष कुमारस्वामी दो सीटों से निर्वाचित हुए हैं. बीते एक दशक में कर्नाटक के विधायकों की औसत आय में तीन गुना से ज्यादा इजाफा हुआ है. लगभग लगभग सारे विधायक ही करोड़पति हैं. कांग्रेस के 99% विधायक करोड़पति हैं वहीं बीजेपी के 98% और जेडीएस के 95% विधायक करोड़पति हैं.
संपत्ति औसतन 23.54 करोड़ रुपये बढ़ी
एडीआर के विश्लेषण के मुताबिक नए चुने गए विधायकों की औसत संपत्ति 34.59 करोड़ रुपये है. 2013 कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जिन 218 विधायकों के हलफनामे का विश्लेषण किया गया, उसके हिसाब से उनकी औसत संपत्ति 23.54 करोड़ रुपये थी. यही औसत संपत्ति 2008 में 10.54 करोड़ रुपये थी. इसका अर्थ एक दशक में चुनकर आने वाले विधायकों की औसत संपत्ति में 25.33 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ. ये 90% बैठता है.
करोड़पति के क्लब में कांग्रेस विधायक
कर्नाटक में नवनिर्वाचित 221 विधायकों में से 215 (97%) करोड़पति हैं. 100 करोड़ रुपये के क्लब में कांग्रेस के सबसे ज्यादा 11 विधायक हैं. इन्होंने हलफनामों में अपनी संपत्ति 100 करोड़ रुपये से ज्यादा दिखाई है. वहीं जेडीएस के 3 विधायकों और बीजेपी के एक विधायक की संपत्ति 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
लोकतंत्र की कैसी तस्वीर
एडीआर के प्रमुख मेजर जनरल अनिल वर्मा (रिटायर्ड) ने बताया, ‘50 फीसदी से अधिक विधायकों की संपत्ति 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है. 22 फीसदी की संपत्ति 5 से 10 करोड़ के बीच है. 26 फीसदी विधायकों की संपत्ति 1 करोड़ से 5 करोड़ रुपये के बीच है. ये खुद ही दिखाता है कि चुनावी तंत्र में धनबल का कितना बोलबाला है. कहने की जरूरत नहीं कि ये वह लोकतंत्र नहीं है जिसकी हमने कल्पना की थी.’
खर्च की सीमा का सवाल
कर्नाटक में जो नए विधायक चुन कर आए हैं उनमें माइनिंग मैग्नेट और ठेकेदार शामिल हैं, उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है कि वो किस तरह की गवर्नेंस देंगे. मेजर जनरल वर्मा ने कहा कि अभी तक उम्मीदवार के चुनावी खर्च की सीमा तय है, लेकिन चुनाव आयोग ने सिफारिश की है कि राजनीतिक दलों के खर्च की सीमा भी निर्धारित होनी चाहिए. तभी सभी उम्मीदवारों के सामने बराबरी का मौका रहेगा.
आपराधिक मामलों वाले विधायक बढ़े
कर्नाटक में लंबित आपराधिक मुकदमों वाले विधायकों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. जिन 221 विधायक के हलफनामों का अध्ययन किया गया उनमें से 77 (35%) ने अपने खिलाफ आपराधिक मुकदमे होने की बात कही. 2013 में 218 विधायकों में से 74 (34%) ने हलफनामों में अपने खिलाफ आपराधिक मुकदमे होना माना. इस बार चुन कर आए 54 विधायकों (24%) के खिलाफ हत्या, अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मुकदमे हैं. 2013 में ऐसे विधायकों की संख्या 39(17%) थी.
कर्नाटक में नए चुनकर आए विधायकों की बात की जाए राजनीतिक दलों में बीजेपी के 42 (41%), कांग्रेस के 23 (30%) और जेडीएस के 11 (30%) विधायकों के हलफनामों के मुताबिक उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.
महिला विधायक सिर्फ 3 फीसदी
जहां तक शिक्षा का सवाल है नए चुन कर आए विधायकों में 80 (36%) ने अपनी शैक्षणिक योग्यता 5वीं से 12वीं के बीच दिखाई है. वहीं 135 (61%) विधायक ग्रेजुएट या उससे ज्यादा पढ़े हैं. नवनिर्वाचित विधायकों में से एक ने खुद को अशिक्षित बताया है. एक विधायक ने हलफनामे में शिक्षा का हवाला ही नहीं दिया. 16 (7%) विधायक 25 से 40 आयु वर्ग के हैं. वहीं 138 (62%) विधायक 41 से 60 वर्ष आयु वर्ग के हैं. 64 (29%) विधायकों की उम्र 61 से 80 वर्ष के बीच है. नए चुन कर आए तीन विधायकों ने अपनी उम्र 80 वर्ष से ज्यादा बताई है. कर्नाटक में नए चुन कर आए विधायकों में सिर्फ 7 (3%) ही महिलाएं हैं. 2013 में 5 (2%) महिलाएं ही कर्नाटक विधानसभा में चुनकर आई थीं.
साभार- आज तक