Publish Date:21-Jan-2019 17:11:23
दुनियाभर की महिलाए कई ऐसे काम करती हैं जिसके लिए उन्हें कोई वेतन नहीं मिलता है। यदि वह हर काम के लिए वेतन लेने लगें तो यह राशी 10 ट्रिलियन डॉलर यानी 71.45 खरब रुपये होगी। यह राशि दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी एप्पल के सालाना टर्नओवर से 43 गुना ज्यादा है। भारत में बिना वेतन के काम करने वाली महिलाएं देश के जीडीपी का 3.1 प्रतिशत हिस्सा हैं। यह महिलाएं घर में काम करती हैं और बच्चों की देखभाल करने के लिए कोई तनख्वाह नहीं लेती हैं। यह कहना है ऑक्सफेम की रिपोर्ट का।
शहरी क्षेत्रों में महिलाएं 312 मिनट जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 291 मिनट रोजाना बिना वेतन के काम करती हैं। वहीं शहरी पुरुष बिना वेतन के कामों में 29 मिनट जबकि ग्रामीण 32 मिनट खर्च करते हैं। इस रिपोर्ट को अतंरराष्ट्रीय अधिकार समूह ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक से पहले इस जारी किया है। रिपोर्ट मे कहा गया है कि महिलाएं और लड़कियां बढ़ती आर्थिक असमानता के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। जिसमें भारत भी शामिल है।
भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को वेतन वाले काम मिलने के आसार बहुत कम रहते हैं। देश के 119 सदस्यीय अरबपति क्लब में केवल 9 महिलाएं शामिल हैं। वेतन पर काम करने वाली महिलाओं को पुरुषों की तुलना में मौजूदा वैतनिक अंतर की वजह से कम पैसे मिलते हैं। इसी वजह से जो घर पूरी तरह से महिलाओं पर निर्भर करते हैं वह गरीब होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में लैंगिक वैतनिक असमानता 34 प्रतिशत है।
ऐसा देखा गया है कि जाति, वर्ग, धर्म, उम्र और सहजता भी वातनिक असमानता की प्रक्रिया में शामिल है। ऑक्फेम स्टडी ने भारत की डब्ल्यूईएफ रैंकिंग का हवाला दिया है। 2018 के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत का स्थान 108 था। रिपोर्ट का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के लिए भारत में बहुत से कानून हैं लेकिन उन्हें लागू करना एक चुनौती बनी हुई है। जिसकी एक वजह पितृसत्तात्मक समाज है। ऑक्सफेम का कहना है कि ज्यादातर महिलाएं इनफॉर्मेल क्षेत्र (दिहाड़ी मजदूरी) में काम करती हैं जहां यौन शोषण से निपटने के लिए कोई तंत्र नहीं है।
साभार- अमर उजाला