Publish Date:13-May-2019 03:02:37
कभी आपने सोचा है कि आपको किसी दुकान से समान खरीदने के बाद नोटों को गिनकर देने की बजाय तोलकर देना पड़े तो... आजकल कुछ ऐसा ही अमेरिकी महाद्वीप के एक देश वेनेजुएला में हो रहा है. लेकिन अब कुछ ऐसा जल्द ईरान में भी देखने को मिल सकता है. अगर आसान शब्दों में समझें तो करेंसी तो होगी लेकिन उसकी कोई कीमत नहीं रह जाएगी.
ईरान का जिक्र अक्सर कच्चे तेल को लेकर होता है. लेकिन इस समय ईरान की महंगाई दुनिया भर के अखबारों की सुर्खियां बनी हुई है. अगर अमेरिका की ओर से सख्ती बढ़ाई गई तो देश में महंगाई 50 फीसदी तक बढ़ सकती है.
इस पूरे मामले को लेकर IMF ने बताया है कि ईरान की अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर हो रही है. कच्चे तेल का एक्सपोर्ट तेजी से घट रहा है. ऐसे में ईरान हाइपर इन्फेलशन की तरफ बढ़ने लगा है. अब सवाल उठता है कि ये हाइपर इन्फेलशन होता क्या है.
लोग नोटों से भरा बोरा लेकर शॉपिंग करने जाएंगे!
हाइपर इन्फ्लेशन एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें महंगाई की दर काफी ऊंचे स्तर पर चली जाती है. आमतौर पर किसी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और मुद्रा की कीमत मोटे तौर पर स्टेबल रहती है, लेकिन हाइपर इन्फ्लेशन की स्थिति में किसी अर्थव्यवस्था में चीजों की कीमतें घरेलू स्तर पर बड़ी तेजी से बढ़ती हैं.
दुनियाभर में हायपर इन्फ्लेशन के कई उदाहरण है. अर्थशास्त्री स्टीव एच हेंक और निकोलस क्रूज ने एक अध्ययन के जरिए बताया है कि पिछली शताब्दी में हाइपर इन्फ्लेशन के लगभग 56 मामले दर्ज किए गए हैं.
हाइपर इन्फ्लेशन का सबसे बड़ा मामला 1945-46 के दौरान हंगरी में दर्ज किया गया था, जब चीजों की कीमतें औसतन हर 15 घंटे में दोगुनी हो जाती थीं. ताजा उदाहरण देखें तो जिंबाब्वे और वेनेजुएला में हाइपर इन्फ्लेशन का दौर देखा जा रहा है, जहां अब वस्तुओं की कीमत औसतन हर 24 घंटे में दोगुनी हो जाती है. जर्मनी में भी 1922-23 के दौरान हाइपर इन्फ्लेशन का दौर आया था.
साभर- न्यूज 18