Publish Date:15-Jan-2017 20:04:05
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि खाद्य पदार्थों, दाल, सब्जियों की खुदरा बाजार कीमतों में कमी दर्ज हुई है। मूल्य सूचकांक पिछले दो वर्षों में सबसे निचले स्तर 3.41 पर पहुंचा है। इससे आम उपभोक्ताओं को जहां राहत मिली है वहीं बिचैलियों में बैचेनी देखी गई है। नुकसान उनको पहुंचा है जो किसान और उपभोक्ता के बीच मुनाफा कमाते थे। उत्पादक और उपभोक्ता दोनों का शोषण करते थे। यह विमुद्रीकरण का सुफल है। उन्होंने कहा कि तर्क दिया जा सकता है कि सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं इसलिए सस्ती हुई हैं तो दालों के सस्ते होने का क्या तर्क दिया जायेगा। सही तथ्य यह है कि जमाखोरी पर अंकुश लगा है, जिससे जमाखोरो की हिम्मत पस्त पड़ गयी है। यह भी कहा जाता रहा है कि नकदी कम होने से उद्योग धंधे बैठ रहे हैं। उद्योग चैपट हो जायेंगे। यह कल्पना भी इन अढ़ाई महिनों में गलत साबित हुई है, क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र में उठाव देखा गया है।
नंदकुमार सिंह चैहान ने कहा कि विमुद्रीकरण का असल मकसद गरीबों को राहत पहुंचाना था। आंकड़े यह सिद्ध कर चुके हैं कि गरीबों को विमुद्रीकरण से भले अस्थाई हैरानी, परेशानी हुई लेकिन अंत भला सो सब भला ही कहा जायेगा। केंद्र सरकार को राजस्व वसूली से लाभ पहुंचा है। सरकारी खजाने और बैंकों के काउंटरों पर धन का अभाव नहीं रहा है, जिससे ब्याज दरें घटा दी गई है। जनता ने भी लेसकैश के फायदों को प्रारंभिक दौर देख लिया है और अगले आर्थिक सुधार के दौर के प्रति उत्सुक है, आशान्वित भी है। चौहान ने कहा कि विमुद्रीकरण पर सियासत करने वालों को जनता को मिला चैन रास नहीं आ रहा है। श्री राहुल गांधी और ममता बनर्जी आम आदमी के पुराने जख्मों पर नमक डालकर पूछते रहे हैं कि पीड़ा कितनी है? विमुद्रीकरण ने उत्पादन, उद्योग क्षेत्र को भी प्रतिकूलता के साथ प्रभावित नहीं किया है और पिछले त्रैमास में औद्योगिक क्षेत्र का ग्राफ भी बढ़ा है। विमुद्रीकरण का एक मकसद यह भी था कि नकदी कम होने से कारोबारी लेन-देन, खरद फरोस्त में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बल मिलेगा। इस दिशा में भी कदम सही दिशा में बढ़ रहे हैं, नतीजे उत्साहजनक हैं। विमुद्रीकरण का विरोध करने वाले समाज के सामने कालेधन वालों के समर्थक के रूप में पेश हो चुके हैं। प्रधानमंत्री ने फैसला किया था कि गरीबों को उनका हक दिलाया जायेगा। काली पूंजी वाले लोग बेनकाब होंगे। इस मामले में भी पब्लिक सब जान चुकी है। उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक सुधार की दृष्टि से कदम बढ़े हैं। उसकी समझ तभी आयेगी जब हम सुधारों के प्रति सहिष्णु होंगे। ऐसे में जो राजनेता आलू जमीन में पैदा होता है, नहीं जानते और वकालत करते हैं कि आलू की फैक्ट्री लगाई जायेगी, उनसे आर्थिक सुधार के प्रशंसक होने की आशा कैसे की जा सकती है?
केन्द्र सरकार का केन्द्रीय कर्मियों को न्यूनतम 9 हजार रू. पेंशन का तोहफा स्वागत योग्य कदम- विजेश लूनावत
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लूनावत ने केंद्रीय कर्मियों को न्यूनतम 9 हजार रू. पेंशन दिये जाने के केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि उनके लिए क्षतिपूर्ति राशि भी 10 से 15 लाख रू. से बढ़ाकर 25 से 35 लाख रू. करके उन्हें सामाजिक राहत प्रदान की गई है। इससे देश के 55 लाख पेंशन भोगियों को लाभ पहुंचेगा।
उन्होनें कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने पेंशन भोगियों की सेवाओं पर उचित ध्यान नहीं दिया, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने माना है कि सेवानिवृत्त कर्मचारी भारत के लिए स्वास्थ्य कर एवं उत्पादक कार्यवास हैं। इनकी सेवाओं के समुचित उपयोग के लिए एक संस्थागत तंत्र गठित करने की आवश्यकता है, जिससे इनकी पेशेवर कुशल सेवाओं का राष्ट्र निर्माण में निवेश किया जा सके। इनकी ऊर्जा से समाज का कल्याण किया जा सकता है और इन्हें जीवन की संध्या में आनन्द की अनुभूति भी कराई जा सकती है।
लूनावत ने कहा कि देश में सेवानिवृत्ति की आयु जीवनकाल और स्वास्थ्य की क्षमता को देखते हुए तय की गई थी। विकास के युग में जीवन आयु में बढ़ोत्तरी हुई है और स्वास्थ्य का स्तर बढ़ने से औसत आदमी की कार्यक्षमता में भी वृद्धि हुई है। उन्होनें कहा कि केंद्र सरकार ने 88 प्रतिशत पेंशन भोगियों के खातों को आधार कार्ड से जोड़ दिया है। इससे भी अब पेंशन आहरण की मुश्किलात का अंत कर दिया गया है।