23-Apr-2024

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उज्जैन जिले में सेवानिवृत्त हो रहे शासकीय सेवकों को 31 मई तक संविदा नियुक्ति

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सिंहस्थ महापर्व-2016 को ध्यान में रखते हुए उज्जैन जिले में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी जो सेवानिवृत्त हो रहे हैं अथवा विभिन्न विभागों में रिक्त पदों पर सेवानिवृत्त कर्मियों को 31 मई तक संविदा नियुक्ति दी जायेगी। राज्य शासन द्वारा यह आदेश जारी कर दिया गया है।

संविदा नियुक्ति उज्जैन संभागायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुशंसा पर होगी। समिति में कलेक्टर उज्जैन, मेला अधिकारी सिंहस्थ और संबंधित विभाग के संभागीय अधिकारी को शामिल किया गया है। समिति द्वारा संबंधित अधिकारी-कर्मचारी के सिंहस्थ की व्यवस्थाओं के संचालन में आवश्यकता होने, कर्मचारी-अधिकारी के पूर्ण स्वस्थ होने एवं उनके विरुद्ध कोई विभागीय कार्यवाही लंबित नहीं होने पर संविदा नियुक्ति की सिफारिश की जायेगी।

होमगार्ड जवान कर रहे हैं समाज-सेवा के सराहनीय कार्य
 
सिंहस्थ महापर्व में होमगार्ड के जवान ड्यूटी के अतिरिक्त समाज-सेवा के सराहनीय कार्य भी कर रहे हैं। जवानों द्वारा शाजापुर के एक-एक श्रद्धालु और गाय को डूबने से बचाने का सराहनीय काम किया गया है।

रामघाट पर शाजापुर निवासी एक श्रद्धालु को नहाते वक्त पत्थर से सिर टकराने के कारण चोट आई। खून बहने से युवक को चक्कर आया और वह नदी में डूबने लगा। वहीं तैनात होमगार्ड सैनिक श्री घनश्याम ने तुरंत उसे डूबने से बचाया। इसी प्रकार ग्राम सुराशा आगर रोड पर एक युवक और एक गाय कुएँ में गिर गई, जिसे उज्जैन के अस्थाई नामांकित सैनिक श्री राहुल जैन द्वारा निकाला गया।

आज सुबह 5 बजे सुनहरी घाट पर एक चोर को होमगार्ड के 2 अस्थाई नामांकित सैनिक श्री स्वप्नेश भान और अंकित यादव ने पकड़कर उसे अस्थाई थाने में पहुँचाया।

अनादि-काल से चली आ रही है पंचक्रोशी यात्रा
एक मई से प्रारंभ होगी छः दिवसीय यात्रा
यात्रा को सुगम बनाने प्रशासन ने की समुचित व्यवस्थाएँ
 

सिंहस्थ के दौरान छः दिवसीय पंचक्रोशी यात्रा 1 मई से प्रारंभ होगी। यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। पंचक्रोशी यात्रा अनादि-काल से चली आ रही है। यात्रा वैशाख कृष्ण दशमी पर क्षिप्रा स्नान तथा नाग चंद्रेश्वर पूजन के पश्चात आरंभ होकर  वैशाख माह की अमावस्या को समाप्त होती है। यात्रा का परिक्रमा पथ 118 किलोमीटर है। यात्रा में शामिल होने वाले मार्ग में समुचित व्यवस्थाएँ की गई हैं।

इतिहास एवं महत्व

 पंचक्रोशी यात्रा अनादि-काल से प्रचलित है। इसे सम्राट विक्रमादित्य ने प्रोत्साहित किया था। यात्रा चौदहवीं शताब्दी से निरन्तर चली आ रही है। यद्यपि कुछ व्यवधान उत्पन्न हुए किन्तु यात्रा निर्बाध रूप से चल रही है।

श्री महाकालेश्वर की चारों दिशाओं में क्षेत्र की रक्षा के लिए महादेव ने चार द्वारपाल शिवरूप में स्थापित किये, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के प्रदाता हैं। इन द्वारपाल में पूर्व दिशा में पिंग्लेश्वर, दक्षिण में कायावरोहणेश्वर, पश्चिम में बिल्केश्वर तथा उत्तर में दुर्दरेश्वर महादेव के मंदिर हैं। यह मंदिर चैरासी महादेव मंदिर श्रंखला के अंतिम चार मंदिर हैं। इनका उल्लेख स्कंद-पुराण के अवन्ति खण्ड में मिलता है। चार द्वारपाल की कथा, पूजा तथा विधान में ईष्ट परिक्रमा का विशेष महत्व है। पंचक्रोशी यात्रा में शिव पूजन, अभिषेक, उपवास, दान, दर्शन आदि की प्रधानता धार्मिक ग्रन्थों में मिलती है।

मार्ग एवं पड़ाव

  एक मई से छः मई तक चलने वाली पंचक्रोशी यात्रा में नागचंद्रेश्वर से पिंग्लेश्वर पड़ाव 12 किलोमीटर, पिंग्लेश्वर से कायावरोहणेश्वर पड़ाव 23 किलोमीटर, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव 21 किलोमीटर, नलवा उप पड़ाव से बिल्केश्वर पड़ाव (अंबोदिया) 6 किलोमीटर, अंबोदिया पड़ाव से कालियादेह उप पड़ाव 21 किलोमीटर, कालियादेह से दुर्दरेश्वर पड़ाव (जैथल) 12 किलोमीटर, दुर्दरेश्वर पड़ाव (जैथल) से उंडासा 16 किलोमीटर तथा उंडासा उप पड़ाव से क्षिप्रा घाट रेती मैदान 12 किलोमीटर है।  

व्यवस्थाएँ

   पंचक्रोशी यात्रा के पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थल पर यात्रियों के मार्गदर्शन के लिए कंट्रोल रूम एवं पुलिस केंप स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक पड़ाव एवं उप पड़ाव पर 20 बिस्तर वाले अस्थाई चिकित्सालय बनाये गये हैं ।  पड़ाव एवं उप पड़ाव में चिकित्सक, दवाइयाँ, पेट्रोलियम जैली आदि की व्यवस्था की गई हैं। अस्थाई चिकित्सालयों में चिकित्सकों के साथ ही अन्य स्टॉफ भी उपलब्ध है।

   यात्रियों के आवागमन के लिए सड़कें बनाई गई हैं। छाया और पड़ाव पर ठहरने के लिए व्यवस्था की गई है। जगह-जगह पेयजल की व्यवस्था है। यात्रा के मार्ग पर 3 से 4 किलोमीटर पर विश्राम स्थल स्थापित किए गए हैं। पड़ाव स्थल पर उचित मूल्य की दुकानें लगाई जायेंगी। दुकानों पर आटा, दाल, चावल, शक्कर, चाय-पत्ती तथा दैनिक उपयोग की वस्तुएँ उचित मूल्य पर विक्रय करने की व्यवस्था है। दुग्ध संघ द्वारा साँची पाइंट के माध्यम से दूध, घी तथा अन्य उत्पाद का विक्रय भी किया जायेगा। 

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