19-Apr-2024

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दो समुदायों के गुटों में नफरत की वजह से गुजरात दंगे हुए- नानावती आयोग

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अहमदाबाद. गुजरात में वर्ष 2002 के दंगों (Gujarat Riots 2002) की जांच करने वाले नानावती आयोग (Nanavati Commission) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय के कुछ धड़ों के बीच पनपी नफरत की गहरी जड़ों की वजह से गुजरात में दंगे हुए. आयोग ने ऐसी भावनाओं को खत्म करने के लिए लोगों को बड़े पैमाने पर जागरूक करने की सिफारिश की है. आयोग ने बेहतरीन साजो-सामान से लैस और पर्याप्त संख्या में पुलिस जवानों की उपस्थिति सुनिश्चित करने, धर्म के वास्तविक संदेशों के बारे में लोगों को शिक्षित करने, सांप्रदायिक दंगों से होने वाले नुकसान बताने और दंगों की रिपोर्टिंग के दौरान मीडिया को संयमित रहने की सिफारिश की है.

ये सिफारिशें दो सदस्यीय आयोग की ओर से सौंपी गई 2,500 पन्नों की रिपोर्ट का हिस्सा है, जिसे बुधवार को गुजरात विधानसभा (Gujarat Assembly) में पेश किया गया. आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जीटी नानावती ने की और गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अक्षय मेहता इसके सदस्य थे. आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा कि अनुशासित और सुसज्जित जवानों की पर्याप्त संख्या ऐसे दंगों को नियंत्रित करने में सहायक होती है.

पुलिस के खाली  पद तुरंत भरे जाएं
रिपोर्ट के मुताबिक, दंगों के दौरान हुई हिंसा से जुड़े सबूतों पर विचार करने के बाद हमने पाया कि पुलिस की अनुपस्थिति या उनकी अपर्याप्त संख्या की वजह से हिंसा पर उतारू भीड़ का उत्साह बढ़ा. आयोग ने कहा कि राज्य सरकार पुलिस बल की मजबूती को सुनिश्चित करने के लिए तुरंत खाली पड़े पदों को भरे. आयोग ने पुलिस व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की सिफारिश की है. रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिस थानों में पर्याप्त अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की तैनाती हो और वे संचार, वाहन और हथियारों से ठीक से लैस हो.

गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस जलाने की घटना से शुरू हुए थे दंंगे
आयोग ने कहा कि गोधरा की घटना (2002 में साबरमती एक्सप्रेस को जलाने की घटना में जिसमें 59 लोगों की मौत हुई थी) के बाद हुई हिंसा की वजह हिंदू और मुस्लिम समुदाय के कुछ हिस्सों में नफरत की गहरी जड़े थी, जिसका इस्तेमाल कुछ धार्मिक नेताओं, संगठनों और असमाजिक तत्वों ने नफरत फैलाने के लिए किया. रिपोर्ट में कहा गया कि गरीब और अशिक्षित लोग आसानी से इन धार्मिक नेताओं के झांसे में आ जाते हैं या बिना घटनाओं के प्रभाव को जाने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल हो जाते हैं. आयोग ने कहा, ‘समाज की इस कमजोरी को लोगों को धर्म की असली शिक्षा से शिक्षित करके ही दूर किया जा सकता है. बता दें कि वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों में करीब एक हजार लोगों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय से संबद्ध रखते थे.

साभार- न्‍यूज 18

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