18-Apr-2024

 राजकाज न्यूज़ अब आपके मोबाइल फोन पर भी.    डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लीक करें

निर्भय होकर स्वतंत्रतापूर्वक मतदान करें- नंदकुमारसिंह

Previous
Next

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री नंदकुमारसिंह चौहान ने 4 जनवरी 2017 को हरदा नगरपालिका एवं माण्डव और अमरकंटक नगर पंचायत में हो रहे चुनाव मतदान में निर्भय होकर स्वतंत्रतापूर्वक मतदान करने की मतदाताओं से अपील की है।

उन्होंने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव आने वाले 5 वर्षो की आंचलिक प्रगति का क्रियान्वयन तय करते है। आने वाला कल वही होगा जैसा आप 4 जनवरी को प्रत्याशियों का चयन करेंगे। भारतीय जनता पार्टी ने जनसेवा और कल्याण को राजनीति में अपना एजेंडा बनाया है। तत्कालीन यूपीए सरकार के समय पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में स्वीकार किया था कि राष्ट्रीय विकास में भाजपा शासित प्रदेशों ने अच्छी भूमिका का निर्वाह किया है। आने वाले मतदान में मतदाताओं को तय करना है कि वे विकास को कैसी और क्या दिशा देना चाहते है, इसलिए खूब सोच समझकर मतदान करेंगे।

नंदकुमारसिंह चौहान ने कहा कि मतदान में सक्रियतापूर्वक उत्साह के साथ भाग लेना हमारा, सबका लोकतांत्रिक अधिकार और कत्र्तव्य है। आपके सक्रिय मतदान से लोकतंत्र सक्रिय और प्रभावी बनेगा। आपने कहा कि मतदान का और नवमतदाताओं की परिपक्वता भी तय करता है। इसलिए कत्र्तव्य हो जाता है कि निकाय क्षेत्र का कोई भी मतदाता अपने मतदान में अधिकार से वंचित नहीं रहें।

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला लोकतंत्र के धर्म निरपेक्ष स्वरूप के संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा- नंदकुमारसिंह

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चौहान ने सर्वोच्च न्यायालय के ताजा फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की एक बड़ी कमजोरी समाप्त हो जायेगी, जो अभी तक सामाजिक समरसता की राह में रोढ़ा थी। कोई भी राजनैतिक दल जाति, धर्म, भाषा जैसे मुद्दों पर न तो चुनाव लड़ सकेगा और न मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास कर पायेगा। यह फैसला वास्तव में भारतीय संविधान की मूल भावना धर्म निरपेक्ष स्वरूप का सीमेन्टीकरण करने में सहायक होगा। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भी कहा था कि संविधान सबके समान हितों और देश के धर्म निरपेक्ष स्वरूप का संरक्षक होगा। इस भावना के अभाव में देश की एकता के स्वरूप के दरकने की आशंका बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि भारत की चुनाव व्यवस्था भी निरी धर्म निरपेक्ष है, जो राजनैतिक दल जाति, धर्म के आधार पर वोटों की गोलबंदी करते चले आ रहे थे, अब उनकी हरकतों पर बंदिश लग जायेगी और आने वाले पांच राज्यों के चुनाव की कसौटी भी यह निर्णय बन जायेगा।

नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि यह एक विडंबना रही है कि देश में एकाधिक दलों ने अपने को विशेष जाति की प्रतिनिधि पार्टी के रूप में जनता के समक्ष पेश किया। कुछ ने धर्म के आधार पर गोलबंदी कर विभाजक रेखाएं खीचीं। ए.आई.एम.आई.एम के सांसद का ताजा बयान है कि उनकी पार्टी की बीएमसी में पार्टी प्रत्याशियों की जीत पर बजट का 21 प्रतिशत हिस्सा मुसलमानों पर खर्च होगा, संविधान की भावना और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लंघन बन चुका है, जिसका निर्वाचन आयोग को संज्ञान लेना चाहिए। देश के अनेक राज्यों में खुल्लम-खुल्ला जाति के आधार पर वोटों की तिजारत का चलन है, इस निर्णय से इस गलत परम्परा पर रोक लगेगी।

चौहान ने कहा कि आजादी के बाद से ही धर्म निरपेक्षता का प्रवक्ता होने का दावा करने वाली कांग्रेस ने तुष्टिकरण को परवान चढ़ाया और धर्मनिरपेक्षता की भावना को दफन करने में गुरैज नहीं किया। हद तो तब हो गई जब यूपीए के शासन के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह ने योजना आयोग की बैठक में घोषित कर दिया कि देश के खजाने पर पहला हक अल्पसंख्यकों का होगा। उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी ने अपना स्वरूप ही यादव मुसलमान पार्टी के रूप में अलानिया पेश कर दिया। राजनैतिक दलों ने जिस जातीयता की भावना को आत्मसात किया बाद में वोटरों ने भी वहीं अपना स्वभाव बना लिया। न्यायालय का निर्णय वोटबैंक पालिटिक्स पर करारा प्रहार बनेगा।

चौहान ने कहा कि संतोष का विषय है कि लोकतंत्र में आर्थिक शुचिता सुनिश्चित करने में जहां प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव में काले धन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए नोटबंदी की सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को सुनिश्चित करने के लिए धर्म जाति भाषा जैसे आधार पर चुनाव लड़ने पर बंदिश लगाकर सबसे बड़े लोकतंत्र के धर्म निरपेक्ष स्वरूप को सहेजने और संवारने का अपेक्षित प्रयास किया है।

कांग्रेस विमुद्रीकरण के विरोध में जनता को भ्रमित करने में सफल नहीं होगी- आलोक संजर

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और सांसद श्री आलोक संजर ने कहा कि ऐसे समय जब विमुद्रीकरण के बहुआयामी और दीर्घगामी फायदों के प्रति देश की जनता आश्वस्त होकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी सोच से अभिभूत है। कांग्रेस विमुद्रीकरण का विरोध करके खुद हास्य का पात्र बन रही है। इससे स्पष्ट हो गया है कि विमुद्रीकरण के विरोध के पीछे लोकहित की भावना नहीं है। सिर्फ निहित स्वार्थो को होने वाली क्षति को जनता के नाम पर भुनाने की कोशिश की जा रही है। इससे जनता भ्रमित होने वाली नहीं है। जनता कांग्रेस के जाल में न तो फंसने वाली है और न कांग्रेस के स्वार्थो के लिए उनके विरोध प्रदर्शन में तत्पर होकर आगे आने वाली है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा विरोधाभास को लेकर आगे बढ़ने के बजाए पीछे जा रही है। यही कारण है कि देश की सबसे बडी पार्टी होते हुए जनता का विश्वास खोकर लोकसभा चुनाव में विपक्ष की हैसियत तक हासिल करने में लाचार रही है। कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी जो स्वयं हल्ला ब्रिगेड का संसद में संचालन कर्ता थे कहते घूमे कि उन्हें लोकसभा में बोलने नहीं दिया गया। यदि वास्तव में उनके पास विमुद्रीकरण के मामले में कोई रचनात्मक सोच है तो उन्हें सार्वजनिक मंच पर बोलने से कौन रोक रहा है ?

आलोक संजर ने कहा कि कांग्रेस कहती है कि श्री नरेन्द्र मोदी ने विमुद्रीकरण का निर्णय एकाएक लिया। सर्व ज्ञात है कि दूरगामी फैसले जिस तरह लिए जाते है वहीं हुआ। विमुद्रीकरण से देश में आतंकवाद, नक्सलवाद, विध्वंसक गतिविधियों पर विराम लगा। कालेधन के सृजन का स्त्रोत बंद हुआ। भ्रष्टाचार पर रोक लगी। कांग्रेस विरोध करके खुद अपना निहित स्वार्थ जनता के सामने उजागर कर रही है। उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण से निर्वाचन आयोग के एजेंडा को पूरा करने में मदद मिलेगी। आयोग चुनाव में धन बल पर रोक लगाने का पक्षधर है। विमुद्रीकरण से चुनाव में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने का मार्ग प्रशस्त होगा। चुनाव आयोग यह भी चाहती है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ साथ हो, इससे विकास अवरूद्ध नहीं होगा। फिजूलखर्ची पर रोक लगेगी। कांग्रेस को निरर्थक विरोध प्रदर्शन कर अपनी फजीहत कराने के बजाए जनता की सुविधा के लिए कोई वैकल्पिक सुझाव, उपाय ध्यान में हो तो बताना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि विमुद्रीकरण के विरोध की आड में कांग्रेस का संगठन के पुर्जे जोड़ने का जतन कर रही है। जब उसे विरोध प्रदर्शन में सक्रिय होने के लिए पदाधिकारियों को उनके पद से हटाने की चेतावनी देना पड़े, विरोध की निरर्थकता अपने आप सामने आ जाती है। जब कांग्रेस के पदाधिकारी ही विरोध के प्रति इच्छुक नहीं है, तो जनता का कितना समर्थन मिलेगा इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। कांग्रेस द्वारा विमुद्रीकरण का विरोध कांग्रेस की कुंठा की परिणति है।

Previous
Next

© 2012 Rajkaaj News, All Rights Reserved || Developed by Workholics Info Corp

Total Visiter:26551642

Todays Visiter:3766